मासूमियत का अपराध
उस बच्ची का कसूर सिर्फ इतना था कि उसके पास टिकट नहीं था, कोई चोरी नहीं, कोई जुर्म नहीं।
हाथ जोड़कर माफ़ी
वो डरती-कांपती बच्ची हाथ जोड़कर माफी मांगती रही, लेकिन सामने खड़ा इंसान पिघला नहीं।
नियम या निर्दयता?
कानून के नाम पर इंसानियत को कुचल दिया गया, सवाल ये है—नियम बड़ा या मानवता?
इंसान की शक्ल में दरिंदा
टीसी की वर्दी में छुपा हुआ वहशीपन बाहर आ गया, आंखों में जरा भी रहम नहीं था।
बच्ची की बेबसी
भीड़ थी, आवाज़ें थीं, लेकिन कोई उसकी ढाल नहीं बना, सिस्टम की चुप्पी सबसे डरावनी थी।
सोशल मीडिया का गुस्सा
वीडियो सामने आते ही लोग भड़क उठे— “ये ड्यूटी नहीं, जुल्म है” जैसी प्रतिक्रियाएँ आने लगीं।
सज़ा की मांग
लोगों ने साफ कहा—ऐसे टीसी को कड़ी सज़ा मिलनी चाहिए, ताकि कोई और बच्चा न टूटे।
सवाल जो रह गया
क्या बिना टिकट होना गुनाह है? या बिना इंसानियत के नौकरी करना सबसे बड़ा अपराध?