मासिक धर्म यानी Periods, महिलाओं के जीवन का एक सामान्य और महत्वपूर्ण हिस्सा है। हालांकि, इस दौरान उचित स्वच्छता और देखभाल न करने से स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। इस लेख में हम Periods के दौरान महिलाओं को अपनाने योग्य स्वच्छता उपायों, पोषण संबंधी सुझावों और जागरूकता के महत्व पर चर्चा करेंगे।
स्वच्छता बनाए रखना: संक्रमण से बचाव का पहला कदम
Periods के दौरान स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना आवश्यक है। एक ही सैनिटरी पैड को लंबे समय तक पहनने से त्वचा में जलन, खुजली और फंगल संक्रमण हो सकता है। प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. मनन गुप्ता के अनुसार, पैड को हर 4-6 घंटे में बदलना चाहिए। इस्तेमाल किए गए पैड को कागज़ में लपेटकर उचित स्थान पर फेंकना चाहिए। इसके अलावा, हल्के और बिना गंध वाले साबुन से जननांगों की सफाई करनी चाहिए। साफ-सुथरे और आरामदायक अंडरवियर पहनना भी संक्रमण के जोखिम को कम करता है।
पोषण और हाइड्रेशन: शरीर को मजबूत बनाए रखें
Periods के दौरान शरीर में कमजोरी और थकान महसूस होना सामान्य है। इसलिए, संतुलित आहार लेना आवश्यक है। फल, सब्जियां, साबुत अनाज और दालें पोषक तत्वों से भरपूर होती हैं, जो शरीर को ऊर्जा प्रदान करती हैं। डार्क चॉकलेट मैग्नीशियम का अच्छा स्रोत है, जो पीरियड्स के दर्द को कम करने में मदद करता है। इसके अलावा, पर्याप्त मात्रा में पानी पीना चाहिए, क्योंकि हाइड्रेटेड रहने से क्रैम्प्स की समस्या कम होती है।
हल्की एक्सरसाइज और मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान
Periods के दौरान हल्की एक्सरसाइज, जैसे वॉकिंग या योग, करने से शरीर में ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है और दर्द में राहत मिलती है। डॉ. चंचल शर्मा के अनुसार, हल्की-फुल्की एक्सरसाइज और योग करने से शरीर में फील-गुड हार्मोन का स्तर बढ़ता है, जिससे मूड अच्छा रहता है और मेंटल स्ट्रेस भी कम होता है।
जागरूकता और संवाद: मिथकों को तोड़ें
आज भी कई महिलाएं Periods के बारे में खुलकर बात करने से कतराती हैं, जिससे गलत धारणाएं बनी रहती हैं। माताओं को चाहिए कि वे अपनी बेटियों से उनके पहले period के बारे में खुलकर बात करें और उन्हें स्वच्छता के महत्व के बारे में समझाएं। इससे न केवल उनकी जानकारी बढ़ेगी, बल्कि वे आत्मविश्वास के साथ इस प्राकृतिक प्रक्रिया का सामना कर सकेंगी।
Periods के दौरान उचित स्वच्छता, संतुलित आहार, हल्की एक्सरसाइज और खुला संवाद अपनाकर महिलाएं न केवल स्वास्थ्य समस्याओं से बच सकती हैं, बल्कि इस प्राकृतिक प्रक्रिया को सहजता से अपना सकती हैं। समाज में जागरूकता बढ़ाकर हम महिलाओं के लिए एक स्वस्थ और समर्थ वातावरण बना सकते हैं।
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