Acquired Immunity
Acquired Immunity

कोरोना महामारी के समय “Acquired Immunity” यानी अर्जित प्रतिरक्षा शक्ति ने भारत में वायरस के प्रसार को रोकने में अहम योगदान दिया। यह इम्युनिटी शरीर में तब विकसित होती है जब हम किसी संक्रमण से गुजरते हैं या टीकाकरण करवाते हैं। इसके परिणामस्वरूप, हमारी रोग प्रतिरोधक प्रणाली भविष्य में उसी या समान वायरस से लड़ने में पहले से ज़्यादा सक्षम हो जाती है।

क्या है Acquired Immunity?

Acquired Immunity वह प्रतिरक्षा है जो शरीर संक्रमण से लड़ने के बाद या टीकाकरण के माध्यम से विकसित करता है। जब शरीर किसी वायरस से पहली बार संक्रमित होता है या वैक्सीन प्राप्त करता है, तो यह विशेष एंटीबॉडीज और मेमोरी सेल्स बनाता है जो भविष्य में उसी वायरस से सुरक्षा प्रदान करते हैं।

भारत में, कोरोना की दूसरी लहर के बाद, कई राज्यों में सीरो सर्वेक्षणों ने दिखाया कि बड़ी संख्या में लोगों ने प्राकृतिक संक्रमण के बाद एंटीबॉडीज विकसित की थीं। उदाहरण के लिए, केरल में एक अध्ययन में पाया गया कि लगभग 70% आबादी ने प्राकृतिक संक्रमण के माध्यम से प्रतिरक्षा प्राप्त की थी।

टीकाकरण और प्राकृतिक संक्रमण का संयोजन: हाइब्रिड इम्युनिटी

जब कोई व्यक्ति कोरोना संक्रमण से उबरने के बाद वैक्सीन की एक खुराक प्राप्त करता है, तो उसे “हाइब्रिड इम्युनिटी” मिलती है। यह प्रतिरक्षा प्रणाली संक्रमण या केवल टीकाकरण की तुलना में अधिक मजबूत और दीर्घकालिक होती है।

केरल में CARE अस्पताल द्वारा किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि जिन लोगों ने संक्रमण के बाद वैक्सीन की एक खुराक ली, उनमें एंCORONटीबॉडी का स्तर उन लोगों की तुलना में 6 से 100 गुना अधिक था जिन्होंने केवल वैक्सीन ली थी या केवल संक्रमित हुए थे। यह दर्शाता है कि हाइब्रिड इम्युनिटी संक्रमण से गंभीर बीमारी और अस्पताल में भर्ती होने के जोखिम को कम करने में अधिक प्रभावी है।

प्रतिरक्षा की अवधि और सतर्कता की आवश्यकता

भले ही Acquired Immunity हमें संक्रमण से लड़ने की ताकत देती है, लेकिन यह सुरक्षा हमेशा स्थायी नहीं रहती। समय के साथ शरीर में बनी यह प्रतिरक्षा कमजोर हो सकती है। AIG अस्पताल की एक रिसर्च में सामने आया कि वैक्सीनेशन के छह महीने बाद करीब 30% लोगों में एंटीबॉडीज़ का स्तर इतना गिर गया कि वह संक्रमण से प्रभावी सुरक्षा नहीं दे सका। यह स्थिति खासकर उन लोगों में ज्यादा देखी गई जो 40 साल से ऊपर हैं या जिन्हें पहले से कोई गंभीर बीमारी है।

साथ ही, कोरोना वायरस के नए रूप जैसे NB.1.8.1 में इतनी तेजी से फैलने की क्षमता और प्रतिरक्षा प्रणाली को चकमा देने की ताकत है कि अतिरिक्त सतर्कता बरतना अब और भी ज़रूरी हो गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि जिन लोगों को संक्रमण का अधिक खतरा है—जैसे बुजुर्ग, पहले से बीमार व्यक्ति या कमजोर इम्युनिटी वाले लोग—उन्हें बूस्टर वैक्सीन लगवाना चाहिए और सावधानीपूर्ण व्यवहार जैसे मास्क पहनना, हाथों की नियमित सफाई और भीड़-भाड़ से बचना जारी रखना चाहिए।

भारत में कोरोना संक्रमण से निपटने में Acquired Immunity ने अहम योगदान दिया है। जब किसी व्यक्ति को संक्रमण हो चुका होता है और फिर वह टीका लगवाता है, तो उसके शरीर में बनने वाली हाइब्रिड इम्युनिटी खास तौर पर ज्यादा प्रभावशाली मानी जाती है। लेकिन ध्यान देने वाली बात यह है कि समय के साथ यह प्रतिरक्षा धीरे-धीरे कमजोर हो सकती है। ऐसे में जरूरी हो जाता है कि लोग सतर्क रहें और समय-समय पर बूस्टर डोज़ लेते रहें। साथ ही, नए कोरोना वेरिएंट्स के चलते अभी भी सावधानी बरतनी ज़रूरी है ताकि हमारी इम्युनिटी बनी रहे और शरीर संक्रमण से अच्छी तरह लड़ सके।

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