डायबिटीज़ और मोटापा जैसी बीमारियों से पीड़ित लोगों के लिए लिवर फंक्शन टेस्ट (Liver Function Test) करवाना बेहद ज़रूरी है। लिवर हमारे शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है जो मेटाबॉलिज्म को नियंत्रित करता है। हाल के अध्ययनों से पता चला है कि लिवर की कार्यक्षमता में कमी डायबिटीज़ और मोटापे जैसी मेटाबॉलिक बीमारियों से जुड़ी हुई है। इसलिए, समय-समय पर लिवर फंक्शन टेस्ट करवाकर लिवर की सेहत की निगरानी करना आवश्यक है।
लिवर, डायबिटीज़ और मोटापे के बीच का संबंध
लिवर हमारे शरीर में ग्लूकोज़ और लिपिड मेटाबॉलिज्म को नियंत्रित करता है। टाइप 2 डायबिटीज़ के मरीजों में इंसुलिन रेजिस्टेंस के कारण यह संतुलन बिगड़ जाता है, जिससे लिवर में वसा जमा होने लगती है। यह स्थिति मेटाबॉलिक डिसफंक्शन-एसोसिएटेड स्टियाटोटिक लिवर डिजीज (MASLD) के रूप में जानी जाती है। इसी तरह, मोटापे के कारण भी लिवर के आसपास वसा जमा होती है, जिससे सूजन और फाइब्रोसिस जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं। यदि इनका समय पर इलाज न किया जाए, तो यह सिरोसिस और लिवर कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों में बदल सकती हैं।
Liver Function Test से क्या जानकारी मिलती है?
Liver Function Test के माध्यम से लिवर की कार्यक्षमता का आकलन किया जाता है। इस टेस्ट में निम्नलिखित एंजाइम्स और प्रोटीन की जांच की जाती है:
- ALT (SGPT): यह एंजाइम लिवर डैमेज या सूजन का संकेत देता है, विशेषकर फैटी लिवर, डायबिटीज़ और मोटापे की स्थितियों में।
- ALP (Alkaline Phosphatase): यह बाइल डक्ट के कार्य को दर्शाता है।
- बिलिरुबिन: यह लिवर की वेस्ट क्लियरिंग क्षमता को मापता है।
- एल्बुमिन और टोटल प्रोटीन: ये लिवर की प्रोटीन संश्लेषण क्षमता को दर्शाते हैं।
डायबिटीज़ या मोटापे से पीड़ित मरीजों में लिवर एंजाइम्स का स्तर बढ़ा हुआ होना अक्सर लिवर डैमेज का संकेत होता है, जो लक्षण प्रकट होने से पहले ही पता चल सकता है।
नियमित निगरानी क्यों है महत्वपूर्ण?
डायबिटीज़ और मोटापा दोनों ही क्रॉनिक स्थितियां हैं। यदि किसी मरीज का BMI सामान्य से अधिक है या लिपिड प्रोफाइल में बदलाव है, तो Liver Function Test करवाना आवश्यक है। भारत में मोटापे की दर 12% है और ICMR-INDIAB अध्ययन 2023 के अनुसार, डायबिटीज़ के 100 मिलियन से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं। इससे लिवर से जुड़ी समस्याओं का बोझ स्पष्ट होता है।
लिवर की असामान्यताएं दवाओं के मेटाबॉलिज्म को प्रभावित कर सकती हैं, जिससे डायबिटीज़ के इलाज में उपयोग होने वाली दवाओं जैसे मेटफॉर्मिन या स्टैटिन्स के साइड इफेक्ट्स का खतरा बढ़ जाता है।
डायबिटीज़ और मोटापे से पीड़ित लोगों के लिए Liver Function Test करवाना न केवल लिवर की सेहत की निगरानी के लिए आवश्यक है, बल्कि यह संभावित जटिलताओं से बचाव में भी मदद करता है। समय पर जांच और उचित जीवनशैली परिवर्तन से लिवर की बीमारियों को रोका जा सकता है।
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