School Kids Suicide And Mental Health: आजकल के समय में अधिकतर हम बच्चों के Suicidal Cases के बारे में सोशल मीडिया पर देखते या न्यूज़ पेपर में पढ़ते रहते हैं। क्या कभी सोचा है आखिर बच्चों के ऊपर ऐसा कौन सा प्रेशर होता है जिससे वो सुसाइड करने पर मजबूर हो जाते हैं? अभी पिछले ही दिनों एक न्यूज़ काफी वायरल हो रही थी कि फोर्थ क्लास की एक बच्ची ने अपने स्कूल की रेलिंग से कूद कर अपनी जान दे दी। इतनी छोटी सी बच्ची के मन में ऐसा कौन सा दबाव होगा जिसे वो किसी के साथ शेयर नहीं कर पाई और अपनी जान लेने पर उतारू हो गई। इस तरह के मामले से सिर्फ पेरेंट्स ही नहीं बल्कि पूरा समाज परेशान है, इसलिए बहुत जरूरी है कि हम अपने बच्चों को समझाएं और उन्हें समझे।
School Kids Suicide And Mental Health के बारे में क्या कहते हैं मनोचिकित्सक?
बच्चों की परवरिश पिछले कुछ सालों से पेरेंट्स के लिए एक चुनौती भरा काम होता जा रहा है। आजकल का समय डिजिटल युग है जिसमें अपने बच्चों को सोशल मीडिया, टीवी या फोन से बचा कर रखना असंभव सा होता जा रहा है। उम्र से पहले बच्चों को ऐसी चीजें पता चलती है जो उनके और पेरेंट्स के लिए आगे चलकर चुनौती बन जाती हैं।
साइकोलॉजिस्ट (School Kids Suicide And Mental Health) के अनुसार हमें बच्चों की भावनाओं को समझना और उन्हें सही रास्ते पर लाना बहुत जरूरी है, क्योंकि बच्चों के सुसाइडल केस हर अभिभावक को अंदर से हिला कर रख देते हैं। बहुत जरूरी है कि हम ये पता लगाएं कि हमारे बच्चों के दिमाग में क्या चल रहा है? उसके साथ क्या हो रहा है और वो क्या सोचता है। साइकोलॉजिस्ट कुछ अर्ली साइंस के बारे में बताते हैं जो पेरेंट्स को ये जानने में मदद कर सकते हैं कि आपका बच्चा कहीं अंदर से परेशान तो नहीं हो रहा।
सेल्फ हार्म करने की कोशिश करना
अगर आपका बच्चा आपके जरा से डांटने पर खुद को चोट पहुंचाने की कोशिश करें तो ये एक गंभीर चेतावनी है कि बच्चा अपनी भावनाएं संभाल नहीं पा रहा, उसके अंदर बहुत ही उठा पटक चल रही है। मनोचिकित्सक के अनुसार सेल्फ हार्म बच्चे के मन में आत्मघाती विचारों की शुरुआत है, इन्हें पहचानें और सही समय पर एक्शन ने उसे मनोचिकित्सक के पास ले जाए।
अगर आपका बच्चा ये कहे तो संभल जाए
यदि आपका बच्चा बार-बार कह रहा है कि मुझे नहीं रहना, मेरे बिना सब अच्छा हो रहा है तो ये आपके लिए संभलने का संकेत है क्योंकि बच्चे अपनी पीड़ा को सीधी भाषा में व्यक्त नहीं कर पाते, वो इमोशनल होते हैं और कहीं ना कहीं निराश हो रहे होते हैं, इसलिए इस तरह की बातें करते हैं। उन्हें समझाएं और जरूरत पड़ने पर उन्हें बेहतर साइकोलॉजिस्ट को दिखाएं।
परिवार से दूर रहना
अगर आपका बच्चा भी अचानक से अपने आप को कमरे में बंद करने लगे, दोस्तों से दूरी बना ले या परिवार से बात ना करें या पहले वो जिन कामों में दिलचस्पी दिखाता था अब वो ना करें तो ये संकेत है कि आपका बच्चा किसी तरह के मानसिक संघर्ष से गुजर रहा है, इस तरह की संकेत को पहचाने और उससे बात करें।
हर माता-पिता के लिए जरूरी है कि बच्चे की हर तरह के व्यवहार को गंभीरता से लें। उसे डांटना, समझाने या सुधारने की बजाय उसकी बात को सुने। उसे महसूस कराएं कि वो आपके पास सुरक्षित है। इतना ही नहीं स्कूल के दबाव को समझने की कोशिश करें और अगर आपको सही लगे तो उसे किसी चाइल्ड साइक्रेटिस्ट या काउंसलर के पास ले जाए, जिससे उसकी कंडीशन मेंसुधार आए।
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