bsf jawan

23 अप्रैल 2025 को, पश्चिम बंगाल के रहने वाले BSF Jawan पूर्णम कुमार शॉ पंजाब के फिरोजपुर सेक्टर में किसानों को सुरक्षा प्रदान करते हुए अनजाने में अंतरराष्ट्रीय सीमा पार कर गए। पाकिस्तान रेंजर्स ने उन्हें हिरासत में ले लिया, जिससे भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव और बढ़ गया। इस घटना ने दोनों देशों के बीच पहले से ही संवेदनशील संबंधों को और जटिल बना दिया।

सीमा पर ड्यूटी, अनजाने में सीमा पार और 21 दिन की अनिश्चितता

पाकिस्तान ने इस मुद्दे पर पारंपरिक फ्लैग मीटिंग्स से इनकार किया और केवल 30-40 मीटर की दूरी से संवाद स्थापित किया। उन्होंने शॉ की दो तस्वीरें जारी कीं, जिनमें एक में उनका चेहरा ढका हुआ था और दूसरी में उनके हथियार जमीन पर रखे हुए थे। यह अंतरराष्ट्रीय मानकों और मानवीय व्यवहार के खिलाफ था।

BSF Jawan Purnam Shaw: परिवार की पीड़ा और ममता बनर्जी की पहल

पूर्णम शॉ की पत्नी, राजनी शॉ, जो गर्भवती हैं, ने अपने पति की सुरक्षित वापसी के लिए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मदद की गुहार लगाई। मुख्यमंत्री ने उन्हें आश्वासन दिया कि राज्य सरकार और तृणमूल कांग्रेस पार्टी इस मामले में केंद्र सरकार के साथ मिलकर आवश्यक कदम उठाएंगे। राजनी ने मीडिया से कहा, “हम हर दिन अपने पति की खबर का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस जानकारी नहीं मिली है।”

इस बीच, 3 मई को राजस्थान के श्रीगंगानगर में BSF ने एक पाकिस्तानी रेंजर को गिरफ्तार किया, जिसने भारत में अवैध रूप से प्रवेश किया था। इस गिरफ्तारी ने भारत को बातचीत में एक मजबूत स्थिति प्रदान की और शॉ की रिहाई के लिए दबाव बनाने में मदद की।

BSF Jawan Purnam Shaw की 14 मई को वाघा-अटारी सीमा से वापसी, कूटनीति की जीत

लगभग तीन सप्ताह की हिरासत के बाद, 14 मई 2025 को सुबह 10:30 बजे, पूर्णम कुमार शॉ को वाघा-अटारी सीमा पर भारत को सौंप दिया गया। BSF ने एक बयान में कहा, “आज BSF जवान पूर्णम कुमार शॉ, जो 23 अप्रैल 2025 से पाकिस्तान रेंजर्स की हिरासत में थे, को भारत को सौंपा गया। यह प्रक्रिया शांतिपूर्ण और स्थापित प्रोटोकॉल के अनुसार हुई।”

शॉ की वापसी न केवल उनके परिवार के लिए राहत का विषय है, बल्कि यह भारत की कूटनीतिक सफलता और मानवीय मूल्यों की जीत भी है। यह घटना सीमा पर तैनात जवानों की चुनौतियों और उनके परिवारों की पीड़ा को उजागर करती है।

BSF Jawan पूर्णम कुमार शॉ की सुरक्षित वापसी भारत की कूटनीतिक दृढ़ता, परिवार की अटूट आशा और मानवीय मूल्यों की जीत का प्रतीक है। यह घटना हमें याद दिलाती है कि सीमा पर तैनात हमारे जवानों की सुरक्षा और सम्मान सर्वोपरि है, और उनके लिए देश हमेशा एकजुट होकर खड़ा रहेगा।

यह भी पढ़ें: Arunachal Pradesh पर चीन के नाम बदलने की कोशिश को भारत ने बताया ‘निरर्थक और हास्यास्पद’