Chhatrapati Sambhaji Maharaj Jayanti 2025: छत्रपति शिवाजी महाराज के ज्येष्ठ पुत्र संभाजी महाराज का जन्म 14 मई 1657 को हुआ था। मात्र दो वर्ष की आयु में माता सईबाई का निधन हो गया, जिसके बाद दादी जीजाबाई ने उन्हें पाला और संस्कारित किया। 1681 में पिता के निधन के बाद, संभाजी महाराज ने मराठा साम्राज्य की बागडोर संभाली और 1689 तक शासन किया।
Chhatrapati Sambhaji Maharaj Jayanti 2025: वीरता, विद्वता और बलिदान का प्रतीक
वे केवल एक योद्धा ही नहीं, बल्कि संस्कृत, फारसी और मराठी सहित कई भाषाओं में निपुण विद्वान भी थे। उनका शासनकाल मुगलों के साथ निरंतर संघर्षों से भरा रहा, विशेषकर औरंगज़ेब के विरुद्ध। उन्होंने बुरहानपुर जैसे महत्वपूर्ण मुगल शहरों पर आक्रमण कर मराठा साम्राज्य की शक्ति का प्रदर्शन किया। उनका नेतृत्व और रणनीतिक कौशल आज भी प्रेरणा का स्रोत है।
अडिग साहस और बलिदान की मिसाल
संभाजी महाराज का जीवन संघर्षों से परिपूर्ण था। 1689 में औरंगज़ेब के आदेश पर उन्हें बंदी बनाया गया और अत्यधिक यातनाएं दी गईं। फिर भी, उन्होंने अपने सिद्धांतों और धर्म से समझौता नहीं किया। उनकी यह अडिगता उन्हें भारतीय इतिहास में एक अद्वितीय स्थान प्रदान करती है।
उनका बलिदान आज भी अन्याय के विरुद्ध खड़े होने की प्रेरणा देता है। उनकी जयंती पर देशभर में उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है, और उनके साहसिक कार्यों को याद किया जाता है।
Chhatrapati Sambhaji Maharaj Jayanti 2025: प्रेरणा का उत्सव
14 मई 2025 को संभाजी महाराज की 368वीं जयंती मनाई जा रही है। इस अवसर पर महाराष्ट्र और अन्य राज्यों में विविध कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। स्कूलों, कॉलेजों और सांस्कृतिक संस्थानों में उनके जीवन पर आधारित नाटक, भाषण और प्रदर्शनी आयोजित की जा रही हैं।
उनकी जयंती केवल एक ऐतिहासिक स्मृति नहीं, बल्कि वर्तमान पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उनका जीवन हमें सिखाता है कि अन्याय के विरुद्ध खड़े होना और अपने सिद्धांतों पर अडिग रहना कितना महत्वपूर्ण है।
संभाजी महाराज का जीवन साहस, विद्वता और बलिदान की मिसाल है। उनकी जयंती पर हम न केवल उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं, बल्कि उनके आदर्शों को अपने जीवन में अपनाने का संकल्प भी लेते हैं। उनकी सिंहगर्जना आज भी हमें अन्याय के विरुद्ध खड़े होने की प्रेरणा देती है।
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