DGMO meeting
DGMO meeting

भारत और पाकिस्तान के रिश्ते जब भी तनाव की ओर बढ़ते हैं, तब सबसे पहले उम्मीद की किरण मिलती सकती है सैन्य स्तर की बातचीत से। 12 मई 2025 को हुई DGMO meeting एक ऐसा ही अहम मौका रहा, इसके पहले भी तनाव खत्म करने को लेकर बात हुई उसके बाद भी पाकिस्तान ने थूक कर चाटने वाला काम किया और कुछ ही घंटों में पाकिस्तान ने ड्रोन और मिसाइल से हमला करना भारत पर चालू कर दिया और भारतीय जवानों ने भी इसका मुहतोड़ जवाब दिया अब फिर दोनों देशों ने आपसी तनाव को पीछे छोड़कर शांति की ओर कदम बढ़ाने का प्रयास किया। इस बैठक ने न सिर्फ नियंत्रण रेखा (LoC) पर शांति बहाली की उम्मीदें जगाईं, बल्कि भविष्य में संवाद के नए रास्ते भी खोल सकता है।

क्या है DGMO Meeting?

DGMO यानी Director General of Military Operations दोनों देशों की सेनाओं में वो अधिकारी होते हैं जो सैन्य संचालन से जुड़ी रणनीति तय करते हैं। जब भारत और पाकिस्तान के DGMO आपस में बात करते हैं, तो यह बेहद संवेदनशील मुद्दों पर सीधी बातचीत का मंच बन जाता है। 2025 की यह DGMO meeting ऐसे समय में हुई जब हाल ही में पहलगाम में आतंकी हमले और भारतीय वायुसेना की जवाबी कार्रवाई से माहौल काफी तनावपूर्ण हो गया था।

बैठक की अहम बातें

इस बार की DGMO बैठक का फोकस नियंत्रण रेखा पर बढ़ते संघर्षों को रोकना था। बैठक में दोनों देशों के सैन्य अधिकारियों ने यह सहमति बनाई कि:

  • नियंत्रण रेखा (LoC) और अन्य सभी सीमाई इलाकों पर संघर्षविराम का पूरी तरह पालन किया जाए।
  • भविष्य में किसी भी तरह के फायरिंग या घुसपैठ की घटना से बचने के लिए दोनों देश आपसी सूचनाओं का आदान-प्रदान करते रहेंगे।
  • हॉटलाइन के जरिए नियमित संपर्क कायम रखा जाएगा, जिससे किसी भी आपात स्थिति में संवाद बना रहे।

भारत ने इस बैठक में स्पष्ट किया कि शांति की राह संवाद और भरोसे से होकर ही गुजरती है। पाकिस्तान की ओर से भी सकारात्मक प्रतिक्रिया आई और उन्होंने दोतरफा प्रयासों को मजबूत करने की बात हो सकती है।

पृष्ठभूमि: क्यों बनी यह बैठक ज़रूरी?

पिछले महीने भारत में हुए आतंकी हमलों और उसके बाद हुई जवाबी कार्रवाई ने हालात को काफी नाजुक बना दिया था। “ऑपरेशन सिंदूर” के तहत भारतीय वायुसेना ने सीमापार आतंकियों के अड्डों पर बमबारी की थी, जिससे पाकिस्तान तिलमिला गया। ऐसे में DGMO स्तर की बातचीत दोनों देशों के बीच तनाव को कम करने की दिशा में निर्णायक साबित हुई।

अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया

DGMO meeting की खबर के बाद अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने भी इस पहल का स्वागत किया है। अमेरिका, फ्रांस और संयुक्त राष्ट्र ने इस बातचीत को सराहते हुए उम्मीद जताई कि यह बैठक क्षेत्रीय शांति का नया अध्याय बनेगी। हालांकि भारत ने यह स्पष्ट किया कि कश्मीर या सीमा से जुड़े मुद्दों पर किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता की आवश्यकता नहीं है।

क्या यह शांति स्थायी होगी?

इसके पहले भी पाकिस्तान लगातार युध्द विराम का उलँघन करता राहया है हाल ही के दिनों में पाकिस्तान येसी हरकतें कर चुका है, विशेषज्ञों का मानना है कि केवल एक DGMO meeting से स्थायी शांति नहीं आ सकती, लेकिन यह पहला जरूरी कदम जरूर है। अगर दोनों देश राजनीतिक इच्छाशक्ति दिखाएं और आतंकी गतिविधियों को समर्थन देना पूरी तरह बंद करें, तभी यह संवाद टिकाऊ हो सकता है।

DGMO meeting 2025 ने भारत और पाकिस्तान के बीच एक बार फिर शांति की उम्मीदें जगा दी हैं। संघर्षविराम पर बनी सहमति और संवाद बनाए रखने का फैसला दोनों देशों के लिए जरूरी भी है और ऐतिहासिक भी। यह समय है जब हथियारों की जगह बातचीत को मौका दिया जाए और उपमहाद्वीप को एक शांतिपूर्ण भविष्य की ओर ले जाया जाए।

यह भी पढ़ें: Defence Stocks में उछाल: भारत-पाकिस्तान संघर्ष के बीच निवेशकों की नई पसंद