Dr Rajendra Prasad Jayanti के अशोक राज हम इस आर्टिकल के बारे में कुछ ऐसी रोचक तथ्यों के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्हें बहुत कम लोग जानते होंगे। हम सभी जानते हैं कि डॉ राजेंद्र प्रसाद भारत के राष्ट्रपति थे जिन्होंने एक गरिमामय कार्यकाल पूरा किया। आईए जानते हैं 3 दिसंबर 1884 को जन्मे डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद के बारे में कुछ रोचक तथ्य: 

Dr Rajendra Prasad Jayanti Special 

आज हम डॉ राजेंद्र प्रसाद की 141 वी जयंती मना रहे हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ-साथ देश के बड़े-बड़े नेता सोशल मीडिया पर उनके जयंती के अवसर पर श्रद्धांजलि दे रहे हैं। एक से बढ़कर एक संदेश लिखा जा रहे हैं लेकिन अभी भी बहुत सी ऐसी बातें हैं इसके बारे में शायद ही कोई जानता हो।

लगातार दो बार चुने गए भारत के राष्ट्रपति

डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद (Dr Rajendra Prasad) एकमात्र ऐसे राष्ट्रपति थे जिन्हें लगातार दो बार पूर्ण कार्यकाल के लिए चुना गया। जी हां वो वर्ष 1950 से वर्ष 1962 तक के लिए देश के प्रधानमंत्री थे।

केवल 50% लेते थे वेतन 

शायद ही कोई जानता हो कि राष्ट्रपति बनने  के बाद डॉ राजेंद्र प्रसाद अपने वेतन का केवल 50% ही लेना  स्वीकार किया क्योंकि उनका  कहना था कि उन्हें ज्यादा पैसों की जरूरत नहीं है। इतना ही नहीं जब उनके कार्यकाल के अंतिम वर्ष चल रहे थे तो वह अपने वेतन का केवल 25% ही लेते थे। सच में आजकल के नेताओं से बहुत अलग थे हमारे देश के पहले राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद। 

राष्ट्रपति से पहले प्रोफेसर थे डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद 

ये तो हम सभी जानते हैं कि हमारे देश के राष्ट्रपति थे, डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद लेकिन शायद ही कोई जानता हो कि राष्ट्रपति बनने से पहले वो प्रोफेसर रह चुके थे। उन्होंने एक कॉलेज में अंग्रेजी के प्रोफेसर के रूप में भी काम किया और बाद में कोलकाता के एक कॉलेज में अर्थशास्त्र की प्रोफेसर भी रह चुके।

जब गांधी जी बने प्रेरणा

उन्होंने अपने करियर की शुरुआत वकालत से की। वह एक सफल वकील थे जब 1916 में लखनऊ अधिवेशन में उनकी मुलाकात महात्मा गांधी जी से हुई और उनसे प्रेरणा लेकर उन्होंने अपनी वकालत छोड़ दी और स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय हो गए। 

जब जाना पड़ा जेल 

वो समय ऐसा था कि आजादी के लिए हमारे देश के प्रमुख नेता कुछ भी कर रहे थे। भारत को आजादी दिलाने के लिए डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने भी हर वह काम किया इसके बारे में शायद ही कोई बड़ा नेता सोच सकता हो। 1930 में शुरू होने वाले “नमक सत्याग्रह आंदोलन” में डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद एक सक्रिय कार्यकर्ता थे और आंदोलन के समय उन्हें बिहार का प्रमुख बना दिया था। इस दौरान उन्होंने खूब नमक बेचकर धन की व्यवस्था की। इतना ही नहीं कानून व्यवस्था के उल्लंघन के लिए उन्हें 6 महीने की जेल की सजा भी हुई।

Dr Rajendra Prasad का अभियान 

डॉ राजेंद्र प्रसाद कृषि उत्पादन में दृढ़ विश्वास रखते थे। इतना ही नहीं उन्होंने “अधिक अन्न उगाओ” का नारा भी दिया था। वर्ष 1946 में डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने खाद्य एवं कृषि मंत्री के तौर पर देश की सेवा भी की। 

आज Dr Rajendra Prasad Jayanti के अवसर पर हमने हमारे पाठकों के साथ डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद से संबंधित कुछ ऐसी बातें शेयर की जो काफी कम लोग जानते हैं। वास्तव में सदा जीवन जीने वाले डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने हमारे देश के दिए महत्वपूर्ण सेवा प्रदान की। आजकल की गंदी राजनीति से परे डॉ राजेंद्र प्रसाद के लिए देश से बढ़कर कुछ भी नहीं था। नमन है देश के ऐसे नेता को।