Gali Janardhan Reddy 7-year-jail-obulapuram-illegal-mining-case
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तेलुगु राज्यों को हिलाकर रख देने वाले ओबुलापुरम अवैध खनन मामले में 14 साल बाद सीबीआई स्पेशल कोर्ट ने अपना ऐतिहासिक फैसला सुनाया। कोर्ट ने गाली जनार्दन रेड्डी (Gali Janardhan Reddy) को दोषी ठहराते हुए 7 साल की सज़ा और ₹1 लाख का जुर्माना लगाया। इस मामले ने लंबे समय से चर्चा बटोरी थी और अब इस फैसले ने एक बड़ा अध्याय समाप्त कर दिया है।

14 साल की जांच के बाद आया बड़ा फैसला

तेलुगु राज्यों को झकझोर देने वाले ओबुलापुरम अवैध खनन मामले में सीबीआई स्पेशल कोर्ट ने लंबी सुनवाई के बाद सजा सुनाई। कोर्ट ने गाली जनार्दन रेड्डी (Gali Janardhan Reddy) को दोषी पाया दोषी ठहराते हुए 7 साल की सज़ा और ₹1 लाख का जुर्माना लगाया, जिन्होंने ओबुलापुरम माइनिंग कंपनी के जरिए लीज़ क्षेत्र से बाहर खनन करके राज्य को ₹884.13 करोड़ का नुकसान पहुँचाया। उनके साथ कंपनी के एमडी श्रीनिवास रेड्डी और अन्य सहयोगी भी दोषी ठहराए गए। कोर्ट ने साफ कहा कि ये खनन कार्य पूरी तरह अवैध थे और इससे न सिर्फ सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ, बल्कि पर्यावरण को भी क्षति पहुंची।

कोर्ट में पेश हुए 219 गवाह और 3400 दस्तावेज़

इस मामले की गंभीरता का अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है कि सुनवाई के दौरान कुल 219 गवाहों से पूछताछ की गई और 3400 से अधिक दस्तावेज़ों की जांच हुई। एक आरोपी की सुनवाई के दौरान मृत्यु भी हो गई। गाली जनार्दन रेड्डी (Gali Janardhan Reddy) ने सजा में राहत की अपील करते हुए कहा कि उनकी कंपनी में हज़ारों लोग कार्यरत हैं, लेकिन कोर्ट ने इसे खारिज करते हुए जनधन की भारी हानि को प्रमुख आधार बनाया। कोर्ट ने यह भी उल्लेख किया कि खनन के दौरान एक मंदिर को नुकसान पहुंचाया गया था।

कुछ को मिली राहत तो कुछ को मिली सज़ा

जहां एक ओर गाली जनार्दन रेड्डी (Gali Janardhan Reddy) को सज़ा मिली, वहीं कुछ आरोपियों को कोर्ट ने निर्दोष पाया। पूर्व मंत्री और बीआरएस की वरिष्ठ नेता सबीथा इंद्रा रेड्डी को दोषमुक्त कर दिया गया, जिससे उन्हें बड़ी राहत मिली। इसी तरह से रिटायर्ड आईएएस अफसर कृपानंदम को भी बरी कर दिया गया। इससे पहले आईएएस अधिकारी वाई. श्रीलक्ष्मी को पहले ही इस मामले से क्लीन चिट मिल चुकी थी। अब दोषियों को जेल भेजने की प्रक्रिया तेज़ कर दी गई है, जिससे इस लंबे मुकदमे का पटाक्षेप होता दिखाई दे रहा है।

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