India-Pakistan Tension
India-Pakistan Tension

दुनिया के दो परमाणु शक्ति संपन्न पड़ोसी एक बार फिर आमने-सामने हैं। India-Pakistan Tension एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय मंच पर चर्चा का विषय बन चुका है। इस तनाव की पृष्ठभूमि में जहां भारत ने आतंकी गतिविधियों पर कड़ी चेतावनी दी है, वहीं पाकिस्तान ने एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय सहानुभूति जुटाने की कोशिश की है। लेकिन इस बार सबसे दिलचस्प पहलू यह है कि इस्लामिक दुनिया के ज़्यादातर देश पाकिस्तान के साथ खड़े नहीं हुए — केवल तुर्की और अजरबैजान ने खुलकर पाकिस्तान का समर्थन किया है।

तनाव की शुरुआत कैसे हुई?

India-Pakistan Tension की शुरुआत 22 अप्रैल को जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद से हुई जिसमें आतंकियों के 26 से अधिक निर्दोष पर्यटकों को उनका धर्म पूछ कर मारा था। भारत ने इस पर कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि आतंकवाद को किसी भी रूप में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और पाकिस्तान को इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।

इसके जवाब में पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से हस्तक्षेप की मांग की, लेकिन उसे अपेक्षित समर्थन नहीं मिला।

तुर्की और अजरबैजान क्यों आए समर्थन में?

पाकिस्तान के समर्थन में केवल तुर्की और अजरबैजान सामने आए हैं। इसके पीछे कई कारण हैं:

  1. भाईचारे की नीति: तुर्की लंबे समय से खुद को मुस्लिम जगत का अगुआ मानता है और वह पाकिस्तान के साथ ‘इस्लामिक ब्रदरहुड’ की नीति पर चलता है।
  2. डिफेंस कॉपरेशन: अजरबैजान और पाकिस्तान के बीच सैन्य सहयोग पिछले कुछ वर्षों में काफी बढ़ा है। दोनों देशों ने मिलकर कई सैन्य अभ्यास किए हैं।
  3. कूटनीतिक गठजोड़: तुर्की-पाकिस्तान-अजरबैजान का त्रिकोणीय संबंध हाल के वर्षों में और मजबूत हुआ है। इन देशों ने कई मंचों पर एक-दूसरे का समर्थन किया है।

बाकी मुस्लिम देश क्यों रहे चुप?

यह सवाल अब वैश्विक मंच पर चर्चा में है कि जब भारत और पाकिस्तान के बीच India-Pakistan Tension इतनी बढ़ चुकी है तो बाकी मुस्लिम देश खामोश क्यों हैं?

  • भारत से बेहतर व्यापारिक रिश्ते: सऊदी अरब, यूएई, कतर और कुवैत जैसे देशों के भारत के साथ मज़बूत व्यापारिक संबंध हैं। भारत एक बड़ा उपभोक्ता बाज़ार है, जहां अरब देशों का तेल और गैस निर्यात होता है।
  • भारत की वैश्विक छवि: भारत अब सिर्फ एक उभरती अर्थव्यवस्था ही नहीं बल्कि वैश्विक मंच पर एक मजबूत नेता के तौर पर देखा जा रहा है। अमेरिका, फ्रांस, जापान जैसे देशों के साथ भारत की रणनीतिक साझेदारी इसे और ताकतवर बनाती है।
  • पाकिस्तान की गिरती साख: आर्थिक संकट, IMF की शर्तें और राजनीतिक अस्थिरता ने पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय छवि को कमजोर किया है।

भारत का स्पष्ट संदेश

भारत ने साफ शब्दों में कहा है कि वह अपनी संप्रभुता और सुरक्षा के मुद्दे पर कोई समझौता नहीं करेगा। विदेश मंत्रालय ने बयान जारी किया है कि भारत आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति पर कायम रहेगा।

India-Pakistan Tension की यह कड़ी बताती है कि अब पाकिस्तान को केवल ‘चुनिंदा’ समर्थन मिल रहा है। तुर्की और अजरबैजान जैसे देशों का समर्थन भले ही कूटनीतिक हो, लेकिन भारत के खिलाफ कोई अंतरराष्ट्रीय मोर्चा खड़ा नहीं हो पाया। यह भारत की मजबूत विदेश नीति, आर्थिक ताकत और वैश्विक साख का परिणाम है कि आज ज़्यादातर देश चुप हैं, या भारत के पक्ष में खड़े हैं।

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