India-Turkey Relations: हाल के दिनों में India-Turkey Relations के रिश्तों में अचानक तल्खी आ गई है। इसका मुख्य कारण तुर्की द्वारा पाकिस्तान के समर्थन में दिया गया बयान माना जा रहा है, जिससे भारतीय जनमानस आहत है। दिल्ली में तुर्की के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुए हैं और सोशल मीडिया पर #BoycottTurkey जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे हैं। कई लोगों ने तुर्की उत्पादों और यात्रा का बहिष्कार करने की अपील की है। यह घटना भारत-तुर्की कूटनीतिक संबंधों में एक नया मोड़ लाती है। अब सवाल यह है कि क्या दोनों देश इस तनाव को दूर कर आपसी सहयोग की राह पर लौट पाएंगे?
तुर्की के पाकिस्तान समर्थन से उपजा विवाद
हाल ही में तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैय्यप एर्दोआन द्वारा पाकिस्तान के समर्थन में दिए गए बयान ने India-Turkey Relations में नाराजगी की लहर पैदा कर दी है। यह कदम ऐसे समय में आया है जब भारत ने 2023 में तुर्की में आए भूकंप के दौरान “ऑपरेशन दोस्त” के तहत मानवीय सहायता भेजी थी। इस सहायता में राहत सामग्री और बचाव दल शामिल थे। बावजूद इसके, तुर्की का पाकिस्तान की पक्षधरता दिखाना भारतीय जनता को खल गया। सोशल मीडिया पर तुर्की के बहिष्कार की मांग जोर पकड़ने लगी है और कई जगहों पर विरोध प्रदर्शन भी देखने को मिल रहे हैं।
विरोध और बहिष्कार की लहर! India-Turkey Relations
दिल्ली में तुर्की के खिलाफ विरोध प्रदर्शन तेज़ हो गए हैं। प्रदर्शनकारियों ने तुर्की उत्पादों के बहिष्कार और वहां की यात्रा बंद करने की मांग की है। सोशल मीडिया पर भी #BoycottTurkey ट्रेंड कर रहा है। ट्रैवल एजेंसियों के अनुसार, तुर्की जाने वाली फ्लाइट्स की बुकिंग में भारी गिरावट आई है और कई यात्रियों ने अपनी बुकिंग रद्द कर दी है। इतना ही नहीं, कुछ भारतीय विश्वविद्यालयों ने तुर्की की संस्थाओं के साथ किए गए शैक्षणिक समझौतों को भी समाप्त कर दिया है। यह विरोध तुर्की के पाकिस्तान समर्थन के कारण शुरू हुआ है।
भविष्य की राह
India-Turkey Relations के बीच बढ़ते तनाव के बीच, यह देखना होगा कि India-Turkey Relations देश अपने संबंधों को कैसे संभालते हैं। हालांकि जनता में नाराजगी है, लेकिन सरकार ने अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिबंध नहीं लगाया है। भविष्य में, दोनों देशों को अपने हितों को ध्यान में रखते हुए संवाद और सहयोग के रास्ते तलाशने होंगे।
India-Turkey Relations में हालिया तनाव ने दोनों देशों के बीच विश्वास की कमी को उजागर किया है। हालांकि विरोध और बहिष्कार की लहर चल रही है, लेकिन स्थायी समाधान के लिए संवाद और समझौता आवश्यक है।
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