Pakistan Army Field Marshal: पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर को 21 मई 2025 को फील्ड मार्शल के पद पर पदोन्नत किया गया, जो देश के इतिहास में केवल दूसरी बार हुआ है। इससे पहले, 1959 में जनरल अयूब खान को यह पद मिला था, जिन्होंने बाद में देश पर सैन्य शासन स्थापित किया था। मुनीर की पदोन्नति हालिया भारत-पाकिस्तान तनाव के बाद हुई है, जिसमें उन्होंने सेना का नेतृत्व किया।
असीम मुनीर की पदोन्नति: एक रणनीतिक निर्णय
जनरल असीम मुनीर की Pakistan Army Field Marshal के रूप में पदोन्नति पाकिस्तान के सैन्य इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ है। यह पदोन्नति हालिया भारत-पाकिस्तान संघर्ष के बाद हुई, जिसमें मुनीर ने सेना का नेतृत्व किया। इस निर्णय को प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ की अध्यक्षता में कैबिनेट ने मंजूरी दी। मुनीर ने नवंबर 2022 में सेना प्रमुख का पद संभाला था, और 2023 में एक संसदीय संशोधन के माध्यम से उनका कार्यकाल तीन से बढ़ाकर पांच साल कर दिया गया।
हालांकि Pakistan Army Field Marshal का पद मुख्य रूप से प्रतीकात्मक होता है और इसमें अतिरिक्त अधिकार नहीं होते, फिर भी यह पदोन्नति सेना और राष्ट्र के लिए एक सम्मान की बात है। मुनीर ने इस सम्मान को पाकिस्तान की सशस्त्र सेनाओं और शहीदों को समर्पित किया।
अतीत की छाया: अयूब खान और सैन्य शासन
पाकिस्तान के पहले फील्ड मार्शल(Pakistan Army Field Marshal) , जनरल अयूब खान, ने 1958 में एक सैन्य तख्तापलट के माध्यम से सत्ता संभाली थी। उन्होंने राष्ट्रपति इस्कंदर मिर्ज़ा को पद से हटाकर खुद राष्ट्रपति का पद संभाला। 1959 में, अयूब खान ने खुद को फील्ड मार्शल घोषित किया, जो उस समय पाकिस्तान में सर्वोच्च सैन्य पद था। उनका शासन 1969 तक चला, जब उन्होंने जन आंदोलन के दबाव में इस्तीफा दिया।
अयूब खान का उदाहरण पाकिस्तान में सैन्य और राजनीतिक सत्ता के एकीकरण का प्रतीक बन गया है। उनकी पदोन्नति और शासन ने देश के लोकतांत्रिक ढांचे पर गहरा प्रभाव डाला।
वर्तमान परिप्रेक्ष्य: क्या इतिहास खुद को दोहरा रहा है?
जनरल असीम मुनीर की Pakistan Army Field Marshal के रूप में पदोन्नति ने पाकिस्तान में सैन्य और राजनीतिक संबंधों पर नई बहस छेड़ दी है। हालांकि यह पदोन्नति सरकार द्वारा अनुमोदित है, फिर भी यह सवाल उठता है कि क्या यह कदम सेना की बढ़ती शक्ति और राजनीतिक प्रभाव का संकेत है।
मुनीर की पदोन्नति ऐसे समय में हुई है जब पाकिस्तान आंतरिक और बाहरी चुनौतियों का सामना कर रहा है। उनकी नेतृत्व क्षमता और निर्णय लेने की क्षमता की सराहना की जा रही है, लेकिन साथ ही यह भी देखा जा रहा है कि सेना का राजनीतिक मामलों में बढ़ता प्रभाव देश के लोकतांत्रिक संस्थानों के लिए क्या मायने रखता है।
जनरल असीम मुनीर की Pakistan Army Field Marshal के रूप में पदोन्नति पाकिस्तान के सैन्य इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना है। यह निर्णय न केवल उनकी व्यक्तिगत उपलब्धि है, बल्कि यह देश में सेना और राजनीति के बीच संबंधों की दिशा को भी दर्शाता है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि यह पदोन्नति पाकिस्तान के लोकतांत्रिक ढांचे और नागरिक-सैन्य संबंधों पर क्या प्रभाव डालती है।
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