Shehbaz Sharif
Shehbaz Sharif

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री Shehbaz Sharif ने हाल ही में एक अहम बयान दिया है। उन्होंने बताया कि भारत की ब्रह्मोस मिसाइलों ने 9-10 मई 2025 की रात पाकिस्तान की एक बड़ी सैन्य योजना को पूरी तरह से नाकाम कर दिया। Shehbaz Sharif के मुताबिक, पाकिस्तान की सेना ने सुबह 4:30 बजे भारत पर जवाबी हमला करने का मन बनाया था, लेकिन इससे पहले ही भारत के मिसाइल हमलों ने पूरी परिस्थिति ही बदल दी। इस खुलासे से पाकिस्तान की सैन्य रणनीति और सुरक्षा व्यवस्था पर कई गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।

ब्रह्मोस हमले से पहले की पाकिस्तान की योजना

Shehbaz Sharif ने अज़रबैजान के लाचिन में एक सम्मेलन के दौरान बताया कि पाकिस्तान की सेना 10 मई की सुबह 4:30 बजे भारत पर हमला करने की योजना बना रही थी। लेकिन इससे पहले 9 मई की रात को भारत ने “ऑपरेशन सिंदूर” के तहत ब्रह्मोस मिसाइलों से पाकिस्तान के कई ठिकानों पर हमला किया, जिनमें रावलपिंडी एयरपोर्ट भी शामिल था। इस तगड़े हमले ने पाकिस्तान की पूरी योजना को धराशायी कर दिया।

नूर खान एयरबेस पर ब्रह्मोस मिसाइलों का हमला

Shehbaz Sharif ने एक बड़ा खुलासा करते हुए बताया कि 9-10 मई की रात 2:30 बजे उन्हें सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर ने सूचित किया कि भारत ने ब्रह्मोस मिसाइलों से नूर खान एयरबेस समेत कई महत्वपूर्ण ठिकानों को निशाना बनाया है। यह स्वीकारोक्ति पाकिस्तान की पारंपरिक नीति से अलग है, क्योंकि आमतौर पर ऐसे हमलों को नकारा या ‘गलती’ बताया जाता था। अब पाकिस्तान भी खुलकर भारत की सैन्य ताकत को स्वीकार करने लगा है।

शांति की पहल और भारत की कड़ी प्रतिक्रिया

हाल के भाषणों में Shehbaz Sharif ने भारत के साथ शांति वार्ता की इच्छा जताई है। उन्होंने कश्मीर मुद्दा, जल विवाद और व्यापारिक रिश्तों को बेहतर बनाने की बात कही। शरीफ़ का कहना है कि पाकिस्तान क्षेत्र में स्थायी शांति चाहता है और सभी विवादों को बातचीत के जरिए सुलझाना चाहता है। लेकिन भारत का रुख साफ है – “बातचीत और आतंकवाद साथ-साथ नहीं चल सकते।” भारत ने पाकिस्तान से आतंकवाद के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। इस स्थिति से स्पष्ट है कि तब तक दोनों देशों के रिश्तों में सुधार मुश्किल होगा, जब तक पाकिस्तान अपनी धरती से आतंकवाद को पूरी तरह खत्म नहीं करता।

Shehbaz Sharif का यह खुलासा न केवल पाकिस्तान की सैन्य रणनीति पर सवाल उठाता है, बल्कि भारत-पाकिस्तान के बीच मौजूदा तनाव और क्षेत्रीय शक्ति संतुलन पर भी गहरा असर डाल सकता है।

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